मानो मधुवन भूल गये हैं मौसम अब अमराई का ,
आखिर कब जागेगा साहस इस सोयी तरुणाई का |
कलश पात्र घट छोटे - छोटे निज निजता पर गर्वित हैं ,
सागर को ही ज्ञान रहा ना क्यों अपनी गहराई का ??
आखिर कब जागेगा साहस इस सोयी तरुणाई का |
कलश पात्र घट छोटे - छोटे निज निजता पर गर्वित हैं ,
सागर को ही ज्ञान रहा ना क्यों अपनी गहराई का ??
-जनार्दन पाण्डेय "प्रचंड"
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