शायरी का मुझको

फोटोग्राफर ने एक आँख मींचकर कहा जिसे खींचता रहूँ वो पोज़ लगती हो तुम |
खाट पे पड़े हुए मरीज़ ने कहा की मुझे जीवन बचाने वाली डोज़ लगती हो तुम
माली बोला बार-बार सूंघने को मन करे, नया-नया खिला रेड रोज़ लगती हो तुम

की शायर ने कहा क्यों न तुमपे ग़ज़ल कहूँ, शायरी का मुझको शबाब लगती हो तुम
जिसे देख मन मांसाहारी होने लगे, शाकाहारियों को वो कबाब लगती हो तुम।

जिन सूफियों ने एक बूँद कभी चखी नहीं, ललचाती उनको शराब लगती हो तुम
बी. ए  में बार-बार फेल हो रहा था जो बोला सारे ही सवालों का जवाब लगती हो तुम.

की शुगर के जितने मरीज़ मीठा छोड़ चुके उनको ज़रूरी नमकीन लगती हो तुम
लाखों आंखियों में काले-काले मेघ घिरते हैं जब भी ज़रा सी ग़मग़ीन लगती हो तुम.

प्रॉपर्टी डीलर हड़पने को आतुर हैं, लफड़े की उनको ज़मीन लगती हो तुम.
खाट जिनकी खड़ी हुई है कई बरसों से, ऐसे खूसटों को भी हसीन लगती हो तुम।

की तुम्हे देख मन नाचने को करता है, मन का मयूर बोला घन(बादल) लगती हो तुम
जिसके समीप आकर शीतलता मिलती है, सर्पों को चन्दन का वन लगती हो तुम।

परेशान जिसे आयकर वाले करते हैं, उस एक नंबर का धन लगती हो तुम
नेता बोला मार दूंगा सबको तुम्हारे लिए, मुझको तो संसद भवन लगती हो तुम.

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