दोहा: फ्री शुरू करण जो रोज़ जल, निज जन बिजली आधी। बढ़नौं इसका वोट तब, मुफ़्तख़ोर आबादी। बुद्धिहीन तुम्हें जानिके, चमकौं कपटकुमार। छल ठगविद्या पारंगत, करहु क्लेश बेकार। जै शैतान झूठ के सागर, जै कुटिल खुजली की गागर। हरामदूत अतुलित धन थामा, अन्नापुत्र गबनसुत नामा। महाढीट गिरगिट बहुरंगी, सुुमति निवार बहुत हुड़दंगी। शर्म न आती मात्र है लेशा, चंदा खाना जिसका पेशा। हाथ कटोरा, झाड़ू विराजे, खांसे मुंह पे मफ़लर साजे। संकट समान केजरी नंदन, खीज प्रलाप महा ठग क्रंदन। विद्यावान कुटिल अति चातुर, कुर्सी पर चढ़ने को आतुर। स्वचरित्र गढ़ने को रसिया, माओ नक्सल का मन बसिया। जाली टोप धरी मियांहि रिझावा, काश्मीर को पाक दिखावा। भीम शर्ट धरी "आम" कहाये, देशजनों को उल्लू बनाये। लाये डोनेशन पार्टी जियाये, पाकिस्तानी हरषि उर लाये। ISI ने बांटी मिठाई, तुम मम प्रिय हाफिज़ सम भाई। नयनबटन तुम्हरो यश गावैं, साथ में मोदी को गरियावैं। सनका दिल भरमा दी बुद्धिसा, जिंदल जद दल दें आशीषा। नगो "कुबेर", लोकपाल कहाँ है? "कवि" चुगद कहि सके कहाँ है? तुम उपकार तोमरहीं कीन्हा, चीट उठाये राजपद दीन्हा। तुमने मंत्री विभूषित माना, फ़र्ज़ी डिग्री सब जग जाना। झूठ सहस्त्र जो जन पर मानू, वोट दिए पर अब पछतानू। झूठ वृष्टिका पेली मुख माहीं, थूक चाट गएअचरज नाहीं। दुर्जन काज फोर्ड के जेते, अरब अनुग्रह तुम हो लेते। काम द्वारे रायता फैलारेे, जब देखो तब हाथ पसारे। ओढ़ रजाई रोड पे पड़ना, सब ड्रामा काहे का धरना। आपन डींग हुंकारों आपै, तीनों लोक हाँकते नापे। मूत की झाग न बैठने पाये, महाढीट जब काम गिनाये। नासे देश करे अति पीड़ा, चपत निरंतर गटरत कीड़ा। संकट पे बंगलौर को धावै, 15 दिन को नज़र न आवै। सब बेईमान हैं तुम्हीं पाका, पाकिस्तान में तुम्हरे आका। और मनोहर (पार्रिकर) जो कुछ दागे, सीधा तुम्हरे दिल पे लागे। चारों जुग परलाप तुम्हारा, है परसिद्ध ये फरज़ीवाड़ा। डाकू चंट के तुम रखवारे, भसड़, निलंबन, काम बिगाड़े। कष्टवृद्धि नौटंकी दाता, असबर दीन सोनिया माता। आम आमदन तुम्हरे पासा, सदा रहो कुर्सी के दासा। तुम्हरे भजन आपिये गावैं, संजय आशु चँवर ढुलावैं। अंतकाल सब गटर में जाई, अंध केजरी भक्त कहाई। और को नेता चित न धरहिं, एक लात पिछवाड़े पड़हिं। भूषण कटै मिटै सब पीरा, यादव का भी उठा टंडीरा। जै जै जै शैतान गुस्साईं, चंदा चरो भैंस की नाईं। जो शत बार पाठ करे कोई, छूटहि बुद्धि आपिया होई। जो यह पढ़े शैतान चालीसा, बुद्धि दो पाटन में पीसा। मोदी भक्त ने ये मनका फेरा, कीजे नाश पाप का डेरा। दोहा: कठिन समय संकट करण अमंगल धूर्त रूप। इसे न समझो सूर्य तुम ये है काली धूप। जोर से बोलो सारे.... # बोल_युगपुरुष_खुजली_महाराज_की_ज य_जय_ज

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