कुल्हाड़ी में लकड़ी का दस्ता न होता,
तो लकड़ी के कटने का रस्ता न होता।
वोट के लालच में कुछ अधर्मी हिन्दू ही हिन्दू धर्म का अपमान न करते तो किसी और की क्या मजाल।
फ़िज़ां में घोल दी है नफरतें अहल-ए-सेकुलरों ने,
मगर पानी कुँए से आज तक मीठा निकलता है !

Comments